मध्य प्रदेश में 28 सीटों के उप-चुनाव में 19 सीटों पर जीत मिलने से भाजपा सरकार का कद बढ़ गया है, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सबसे पहली चुनौती होगी कैबिनेट का विस्तार। कांग्रेस से भाजपा में आए 3 ( दो सिंधिया समर्थक) मंत्रियों के चुनाव हारने के बाद अब मंत्रिमंडल में चार और मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। एक जगह पहले से खाली थी, लेकिन इन 4 जगहों के लिए 7 से ज्यादा विधायक दावा कर रहे हैं। एक को भी मनाने के लिए शिवराज को कड़ी मेहनत करनी होगी।
शिवराज ने अपनी कैबिनेट में कांग्रेस से इस्तीफा देकर आए 22 में से 14 विधायकों को शामिल किया था। इसमें क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व जैसे समीकरण नहीं थे, लेकिन अब यह दबाव रहेगा। अब विंध्य और महाकौशल के विधायकों को मंत्री पद मिलने की उम्मीद है। सवाल यह भी है कि कैबिनेट विस्तार के बाद विधानसभा अध्यक्ष कौन बनेगा? चुनाव हारने वाले सिंधिया समर्थकों को भाजपा संगठन में जगह मिलेगी या नहीं? निगम-मंडलों में नियुक्तियां भी शिवराज के लिए चुनौती है।
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विंध्य का दबाव ज्यादा
शिवराज पर विंध्य क्षेत्र के विधायकों का दबाव ज्यादा होगा। यहां से सीनियर विधायक गिरीश गौतम ने अभी से मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए दावेदारी ठोक दी है। उन्होंने कहा कि विंध्य को कैबिनेट में तवज्जो मिलनी चाहिए। उम्मीद है कि पार्टी इस पर विचार करेगी।
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विधानसभा अध्यक्ष के लिए शुक्ला, शर्मा या फिर सिसोदिया
विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए 6 बार से विधायक और विंध्य के बड़े नेता केदार शुक्ला का दावा हो सकता है। गिरीश गौतम भी दौड़ में पीछे नहीं है। इनके अलावा निमाड़ से यशपाल सिसोदिया और नर्मदापुरम से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के नाम पर भी विचार किया जा सकता है।
संजय पाठक, रामपाल सहित कई विधायकों को उम्मीद
मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कई सीनियर विधायक सक्रिय हो गए हैं। शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे संजय पाठक, रामपाल सिंह, गौरीशंकर बिसेन और राजेंद्र शुक्ला के अलावा नागेंद्र सिंह, रमेश मेंदोला, अजय विश्नोई इस दौड़ में हैं।
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सरकार में सिंधिया का दखल बढ़ेगा
उपचुनाव में बीजेपी के खाते में 19 सीटें आने से ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी में प्रभाव बढ़ सकता है। संगठन के साथ-साथ सरकार में भी उनकी सुनी जाएगी। दरअसल, सरकार में शिवराज ने अपने पिछले तीन कार्यकाल में ऐसे राजनीतिक हालात का सामना नहीं किया था।
ताकतवर हुए प्रदेश अध्यक्ष, चुनौती भी
उपचुनाव में शानदार जीत के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ताकतवर हुए हैं, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती सिंधिया समर्थकों के साथ तालमेल और असंतुष्टों को कार्यकारिणी में जगह देने की है। प्रदेश कार्यकारिणी में फेरबदल फरवरी माह से अटका है। माना जा रहा है कि दिसंबर-जनवरी में संभावित निकाय चुनाव से पहले कार्यकारिणी का गठन हो जाएगा।
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